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बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2636
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास

प्रश्न- वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य पर एक निबंध लिखिए।

 

अथवा
वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य का विस्तृत वर्णन कीजिए।
अथवा
वैदिक काल में व्यापार व्यवसाय का उल्लेख कीजिए।
अथवा
वैदिक कालीन वाणिज्य पर प्रकाश डालिए।

उत्तर-

आर्य अपने जीवन के आरम्भिक चरण में कबीलाये समाज का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, अतः इस चरण में उनकी व्यापारिक गतिविधियाँ बहुत विकसित नहीं थीं। लेकिन आर्य जब भारत में स्थायी रूप सेबस गये तो वे व्यापारिक क्रिया-कलापों से भी संलग्न हो गये। वस्तुतः जब कृषि तथा उद्योग अच्छी उन्नत दशा में आजाते हैं, तो श्रम विभाग का भी विकास होजाता है, और उसके परिणामस्वरूप वस्तुओं का क्रय-विक्रय होने लगता है। कर्मार और बाय जैसे शिल्पी अपने शिल्प द्वारा तैयार किये गये माल का विक्रय करके ही कृषिजन्य अन्न आदि को प्राप्त करते हैं। वैदिक युग में भी वस्तुओं का क्रय-विक्रय प्रारम्भ हो गया था, यद्यपि यह बहुधा वस्तु-विनिमय द्वारा ही सम्पन्न किया जाता था। इस युग में विनिमय के लिए गौ को माध्यम के रूप में प्रयुक्त किया जाता था और उसे मूल्य की इकाई माना जाता था। पर विनिमय के लिए सिक्कों का उपयोग भी इस काल में किया जाने लगा था, इस बात के भी कुछ संकेत वैदिक साहित्य में मिलते हैं। वेदों के अनेक मंत्रों में निष्क शब्द आया है। इससे सुवर्ण का कोई आभूषण- विशेष अभिप्रेत है या सोने का सिक्का यह विषय विवादग्रस्त है। एक मंत्र में यह कहा गया है कि ऋषि कक्षीवान् ने सवान के राजा तूर्त से सौ निष्क और सौ घोड़े दान में प्राप्त किये। यहाँ निष्क से कोई सिक्का ही अभिप्रेत है, यह प्रतीत होता है। ऋग्वेद के एक मंत्र में निष्कग्रीव का उल्लेख मिलता है यह तो स्पष्ट ही है, कि निष्कग्रीव एक ऐसा आभूषण जिसे गले में पहना जाता था। पर हार या माला बनाने के लिए सुवर्ण के सिक्कों को भी प्रयुक्त किया जा सकता था, जैसा कि वर्तमान समय में भी भारत के देहाती क्षेत्रों में प्रथा है। ऐसे हार अब भी बनाये जाते हैं, जिनमें चाँदी के रुपये या अठन्नियाँ प्रयुक्त की गई होती हैं। निष्क का अभिप्राय चाहे सिक्के से हो या न हो, पर यह निःसंदिग्ध रूप से कहा जा सकता है कि वैदिक युग में वस्तुओं का विनिमय सुचारु रूपसे प्रारम्भ हो गया था। इसलिए ऋग्वेद के एक मन्त्र से यह सूचित होता है कि जो वस्तु किसी कीमत पर बेच दी जाए, तो उसे फिरवापस नहीं लिया जासकता था। एक मंत्र के अनुसार किसी व्यक्ति ने कोई बहुमूल्य वस्तु कम कीमत पर बेच दी, पर जब उसे अपनी भूल का बोध हुआ, तो वहखरीदार के पास गया और यह अनुरोध किया कि उस सौदे को रद्द कर दियाजाय और बिकी हुई वस्तु को बिना बिकी मान लिया जाय। पर खरीदार इससे सहमत नहीं हुआ वेद मंत्र का यह कथन है कि कोई चाहे दीन हो और चाहे दक्ष सब को सौदे पर दृढ़ ही रहना होगा।

व्यापार स्थल और जल - दोनों प्रकार के भागों से होता था। स्थल भागों से माल को लाने-ले जाने के लिए गाड़ियों का प्रयोग किया जाता था, जिनमें बैल, घोड़े और गधे जोते जाते थे। गाड़ी को अनस कहते थे। अनस के अतिरिक्त अनेक प्रकार के रथ भी बनाये जाते थे, जो सवारी के काम आते थे। रथों तथा अनसों के साथ घोड़े जोते जाने का वैदिक साहित्य में अनेक स्थलों पर उल्लेख है, ऋषभ से खींचे जाने वाले वाहनों का वर्णन भी वेदों में विद्यमान है।

समुद्री व्यापार - वेदों में समुद्री व्यापार का वर्णन है। एक मत में पूर्वी और पश्चिमी समुद्रों का वर्णन है कतिपय मंत्रों में चार समुद्रों का उल्लेख है, जो सप्तसैन्धव के चारों ओर विद्यमान थे। इन नदियों और समुद्रों में जाने-आने के लिए नौकाएँ प्रयुक्त की जाती थीं, इसके अनेक निर्देश वैदिक साहित्य में विद्यमान हैं। ऋग्वेद के एक मंत्र में वरुण द्वारा समुद्र के संचरण का वर्णन है नासत्यौ द्वारा भुज्यु को 'आद्र' समुद्र पार ले जाने का वर्णन ऋग्वेद के एक मंत्र में दिया गया है समुद्र में आना-जाना जिन नौकाओं द्वारा होता था, उनके संबंध में भी कुछ परिचय वैदिक साहित्य से प्राप्त होता है। एक स्थान पर नौका के साथ शतारित्रा विशेषण का प्रयोग किया गया है इससे सूचित होता है कि वैदिक युग में ऐसी बड़ी नौकाएँ भी बनने लग गई थीं जिन्हें खेने के लिए सौ चप्पू हुआ करते थे। 'अश्विनौ या नासत्यौ द्वारा ऐसी ही शतारित्रा नाव से भुज्यु को 'अनारम्भण, अग्रभण' समुद्र के पार लेजाया गया था। भुज्यु की कथा ऋग्वेद में कई स्थानों पर दी गयी है, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि वैदिक युग समुद्र में आने जाने वाली नौकाओं कीसत्ता थी। इन नौकाओं को अरित्रों से भी चलाया जाता था और पाल से भी एक मंत्र में ऋषि सौम्भ बुध ने अपने सखाओं कोसम्बोधन करके कहा है- नाव को अरित्रों के साथ तैयार कर दो। सिन्धु में चलने वाली नौका का विशेषण एक मंत्र में 'पक्षी' दिया गया है। इससे उनमें भी पालों का लगा हुआ होना सूचित होता है। जिस नाव द्वारा भुज्यु को समुद्र के पार किया गया था, एक मंत्र में उसे 'पतत्री' भी कहा गया है, जिससे उसमें भी पाल लगे होने का संकेत मिलता है। नदियों औरसमुद्र में जाने-आने वाली नौकाएँ सवारी के लिए तो प्रयुक्त होती हीथीं, पर उन द्वारा व्यापारी माल को भी एक स्थान से दूसरेस्थान पर लेजाया जाता होगा, यह कल्पना असंगत नहीं होगी। अथर्ववेद के एक सूक्त में समुद्र में उत्पन्न होने वाले कृशन तथा शंख का उल्लेख है। कृशन से मोती तथा सीपी अभिप्रेत है। इनसे एक कवच बनाया जाता था जिसे सौ वर्ष की दीर्घायु देने वाला, वर्चस् और बल प्रदान करनेवाला तथा रक्षा करने वाला समझा था। ऋग्वेद में 'कृशन' का उल्लेख, जिससे रथों तथा घोड़ों को अलंकृत किया जाता था। ये शंख तथा कृशन नौकाओं द्वारा समुद्र से ही लाये जाते थे। इनका क्रय और विक्रय भी होता था। लोग इन्हें या तो अलंकार के लिए क्रय करते थे, या इनसे कवच बनाने के लिए।

वैदिक युग में समुद्र पार के देशों केसाथ भारतीय आर्यों का सम्बन्ध था, कतिपय अन्य तथ्यों द्वारा भी यह सूचित होता है। वर्तमान समय में जहाँ ईराक और तुर्की के राज्य हैं, प्राचीन समय में वहाँ अनेक ऐसी सभ्यताओं की सत्ता थी, जिनके भग्नावशेषों से ज्ञात होता है कि उनका भारत के साथ घनिष्ठ व्यापारिक सम्बन्ध भी था। ईराक की युक्रेटिस और टिग्रिस नदियों की घाटी में विद्यमान प्राचीन सभ्यताओं के तीन हजार साल ईस्वी पूर्व के अवशेषों में सागौन की लकड़ीमिली है, जो पश्चिमी एशिया के प्रदेशों में नहीं होती। यह माना जाता है कि उसे जल मार्ग द्वारा भारत से ही ले जाया गया होगा। प्राचीन समय में पश्चिमी एशिया के विविध देशों के साथ भारत का जो सम्बन्धता, उस पर इस ग्रन्थ में अन्यन्न प्रकाश डाला गया है। यह सम्बन्धसमुद्र मार्ग द्वारा ही अधिक क्रियात्मक एवं सम्भव था। वेद के एक मंत्र से यह संकेत भी मिलता है कि वैदिक आर्य समुद्र के मार्गों से भली-भांति परिचित थे। इसमें ऋषि आजीगर्ति शुनःशेप ने कहा है कि मैं आकाश में आने-जाने वाले पक्षियों के मार्गों को भी जानता हूँ। इन्हीं सामुद्रिक मार्गों द्वारा वैदिक युग के आर्य सुदूरवर्ती प्रदेशों में भी व्यापार आदि के लिए जाया आया करते थे।

पणि - ऋग्वेद में व्यापारियों के रूप में पणि शब्द का कई स्थानों पर उल्लेख किया है। पणियों के आर्यों के साथ सम्बन्ध अच्छे नहीं थे क्योंकि ये आर्यों के गायों को चुरा लेते थे।

ऋग्वेद के अनुसार पणियों की निधि पहाड़ से सुरक्षित थी और गौवों, घोड़ों तथा वसुओं से परिपूर्ण थी। ऋग्वेद के इस सूक्त से यह संकेत भी मिलता है कि पणि लोग इन्द्रसे सर्वथा अपरिचित थे। इसीलिए उन्होंने सरमा से प्रश्न किया था, कि यह इन्द्र कैसा है, क्या यह हमारा मित्र बन सकता है। इन्द्रआर्यों का प्रधान था। उससे परिचित होना भी यहीसूचित करता है कि पणि लोग आर्य भिन्न असुर जाति के थे। ऋग्वेद के एक अन्य मंत्र में पणियों को 'अराधसः' कहा गया है। उनका एक विशेषण 'बेकनाट' भी पाया जाता है, जिसका अभिप्राय यास्क ने निरुक्त में इस प्रकार स्पष्ट किया है : बेकनाट कुसीदी होते हैं, धन को दुगना किया करते हैं, दुगना करने की उनकी इच्छा रहती है। 'पणि' का अर्थ करते हुए यास्क ने कहा है: पणि वणिक् होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि पणि एक आर्य भिन्न जाति थी, जो वैश्यवृत्ति से अपना निर्वाह किया करती थी। वह गौ, अश्व आदि पशु पालती थी, सूद का व्यवहार करती थी, और व्यापार के लिए दूर-दूर के प्रदेशों में जाया करती थी।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
  4. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
  6. प्रश्न- भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
  7. प्रश्न- 'फाह्यान पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  8. प्रश्न- दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
  9. प्रश्न- आपके विषय का पूरा नाम क्या है? आपके इस प्रश्नपत्र का क्या नाम है?
  10. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
  12. प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
  13. प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए
  14. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के विषय में आप क्या समझते हैं?
  15. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक व्यवस्था व आर्थिक जीवन का वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- सिन्धु नदी घाटी के समाज के धार्मिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  17. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था एवं कला का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
  19. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर- विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- हड़प्पा संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
  23. प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
  25. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
  26. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  27. प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  28. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता में शिवोपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- सैन्धव धर्म में स्वस्तिक पूजा के विषय में बताइये।
  30. प्रश्न- ऋग्वैदिक अथवा पूर्व वैदिक काल की सभ्यता और संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हैं?
  31. प्रश्न- विवाह संस्कार से सम्पादित कृतियों का वर्णन कीजिए तथा महत्व की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- वैदिक काल के प्रमुख देवताओं का परिचय दीजिए।
  33. प्रश्न- ऋग्वेद में सोम देवता का महत्व बताइये।
  34. प्रश्न- वैदिक संस्कृति में इन्द्र के बारे में बताइये।
  35. प्रश्न- वेदों में संध्या एवं ऊषा के विषय में बताइये।
  36. प्रश्न- प्राचीन भारत में जल की पूजा के विषय में बताइये।
  37. प्रश्न- वरुण देवता का महत्व बताइए।
  38. प्रश्न- वैदिक काल में यज्ञ का महत्व बताइए।
  39. प्रश्न- पंच महायज्ञ' पर टिप्पणी लिखिए।
  40. प्रश्न- वैदिक देवता द्यौस और वरुण पर टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- वैदिक यज्ञों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- वैदिक देवता इन्द्र के विषय में लिखिए।
  43. प्रश्न- वैदिक यज्ञों के सम्पादन में अग्नि के महत्त्व को व्याख्यायित कीजिए।
  44. प्रश्न- उत्तरवैदिक कालीन धार्मिक विश्वासों एवं कृत्यों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  45. प्रश्न- वैदिक काल में प्रकृति पूजा पर एक टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- वैदिक संस्कृति की विशेषताएँ बताइये।
  47. प्रश्न- अश्वमेध पर एक टिप्पणी लिखिए।
  48. प्रश्न- आर्यों के आदिस्थान से सम्बन्धित विभिन्न मतों की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- ऋग्वैदिक काल में आर्यों के भौगोलिक ज्ञान का विवरण दीजिए।
  50. प्रश्न- आर्य कौन थे? उनके मूल निवास स्थान सम्बन्धी मतों की समीक्षा कीजिए।
  51. प्रश्न- वैदिक साहित्य से आपका क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख अंगों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
  52. प्रश्न- आर्य परम्पराओं एवं आर्यों के स्थानान्तरण को समझाइये।
  53. प्रश्न- वैदिक कालीन धार्मिक व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  54. प्रश्न- ऋत की अवधारणा का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- वैदिक देवताओं पर एक विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  56. प्रश्न- ऋग्वैदिक धर्म और देवताओं के विषय में लिखिए।
  57. प्रश्न- 'वेदांग' से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- वैदिक कालीन समाज पर प्रकाश डालिए।
  59. प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन समाज में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
  60. प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में शासन प्रबन्ध का वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- उत्तर वैदिक काल के शासन प्रबन्ध की रूपरेखा पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- वैदिक कालीन आर्थिक जीवन का विवरण दीजिए।
  63. प्रश्न- वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य पर एक निबंध लिखिए।
  64. प्रश्न- वैदिक कालीन लोगों के कृषि जीवन का विवरण दीजिए।
  65. प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- ऋग्वैदिक काल के पशुपालन पर टिप्पणी लिखिए।
  67. प्रश्न- वैदिक आर्यों के संगठित क्रियाकलापों की विवेचना कीजिए।
  68. प्रश्न- आर्य की अवधारणा बताइए।
  69. प्रश्न- आर्य कौन थे? वे कब और कहाँ से भारत आए?
  70. प्रश्न- भारतीय संस्कृति में वेदों का महत्त्व बताइए।
  71. प्रश्न- यजुर्वेद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  72. प्रश्न- ऋग्वेद पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- वैदिक साहित्य में अरण्यकों के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- आर्य एवं डेन्यूब नदी पर टिप्पणी लिखिये।
  75. प्रश्न- क्या आर्य ध्रुवों के निवासी थे?
  76. प्रश्न- "आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया था।" विवेचना कीजिए।
  77. प्रश्न- संहिता ग्रन्थ से आप क्या समझते हैं?
  78. प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्यों के धार्मिक विश्वासों के बारे में आप क्या जानते हैं?
  79. प्रश्न- पणि से आपका क्या अभिप्राय है?
  80. प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि पर टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन उद्योग-धन्धों पर टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- वैदिक काल में सिंचाई के साधनों एवं उपायों पर एक टिप्पणी लिखिए।
  83. प्रश्न- क्या वैदिक काल में समुद्री व्यापार होता था?
  84. प्रश्न- उत्तर वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिए।
  85. प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में प्रचलित उद्योग-धन्धों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए?
  86. प्रश्न- शतमान पर एक टिप्पणी लिखिए।
  87. प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- भारत में लोहे की प्राचीनता पर प्रकाश डालिए।
  89. प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्थिक जीवन पर टिप्पणी लिखिए।
  90. प्रश्न- वैदिककाल में लोहे के उपयोग की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- नौकायन पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- सिन्धु घाटी की सभ्यता के विशिष्ट तत्वों की विवेचना कीजिए।
  93. प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोग कौन थे? उनकी सभ्यता का संस्थापन एवं विनाश कैसे.हुआ?
  94. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की आर्थिक एवं धार्मिक दशा का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- वैदिक काल की आर्यों की सभ्यता के बारे में आप क्या जानते हैं?
  96. प्रश्न- वैदिक व सैंधव सभ्यता की समानताओं और असमानताओं का विश्लेषण कीजिए।
  97. प्रश्न- वैदिक कालीन सभा और समिति के विषय में आप क्या जानते हैं?
  98. प्रश्न- वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
  99. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के कालक्रम का निर्धारण कीजिए।
  100. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार की विवेचना कीजिए।
  101. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता का बाह्य जगत के साथ संपर्कों की समीक्षा कीजिए।
  102. प्रश्न- हड़प्पा से प्राप्त पुरातत्वों का वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- हड़प्पा कालीन सभ्यता में मूर्तिकला के विकास का वर्णन कीजिए।
  104. प्रश्न- संस्कृति एवं सभ्यता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  105. प्रश्न- प्राग्हड़प्पा और हड़प्पा काल का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- प्राचीन काल के सामाजिक संगठन को किस प्रकार निर्धारित किया गया व क्यों?
  107. प्रश्न- जाति प्रथा की उत्पत्ति एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  108. प्रश्न- वर्णाश्रम धर्म से आप क्या समझते हैं? इसकी मुख्य विशेषताएं बताइये।
  109. प्रश्न- संस्कार शब्द से आप क्या समझते हैं? उसका अर्थ एवं परिभाषा लिखते हुए संस्कारों का विस्तार तथा उनकी संख्या लिखिए।
  110. प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में संस्कारों के प्रयोजन पर अपने विचार संक्षेप में लिखिए।
  111. प्रश्न- प्राचीन भारत में विवाह के प्रकारों को बताइये।
  112. प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में नारी की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  113. प्रश्न- वैष्णव धर्म के उद्गम के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  114. प्रश्न- महाकाव्यकालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  115. प्रश्न- पुरातत्व अध्ययन के स्रोतों को बताइए।
  116. प्रश्न- पुरातत्व साक्ष्य के विभिन्न स्रोतों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  117. प्रश्न- पुरातत्वविद् की विशेषताओं से अवगत कराइये।
  118. प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
  119. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  120. प्रश्न- पुरातात्विक स्रोतों से प्राप्त जानकारी के लाभों से अवगत कराइये।
  121. प्रश्न- पुरातत्व को जानने व खोजने में प्राचीन पुस्तकों के योगदान को बताइए।
  122. प्रश्न- विदेशी (लेखक) यात्रियों के द्वारा प्राप्त पुरातत्व के स्रोतों का विवरण दीजिए।
  123. प्रश्न- पुरातत्व स्रोत में स्मारकों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  124. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  125. प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
  126. प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
  127. प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  128. प्रश्न- "सभ्यता का पालना" व "सभ्यता का उदय" से क्या तात्पर्य है?
  129. प्रश्न- विश्व में नदी घाटी सभ्यता के विकास पर प्रकाश डालिए।
  130. प्रश्न- चीनी सभ्यता के विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  131. प्रश्न- जियाहू एवं उबैद काल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  132. प्रश्न- अकाडिनी साम्राज्य व नॉर्ट चिको सभ्यता के विषय में बताइए।
  133. प्रश्न- मिस्र और नील नदी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  134. प्रश्न- नदी घाटी सभ्यता के विकास को संक्षिप्त रूप से बताइए।
  135. प्रश्न- सभ्यता का प्रसार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  136. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार के विषय में बताइए।
  137. प्रश्न- मेसोपोटामिया की सभ्यता पर प्रकाश डालिए।
  138. प्रश्न- सुमेरिया की सभ्यता कहाँ विकसित हुई? इस सभ्यता की सामाजिक संरचना पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालिए।
  139. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता के भारतवर्ष से सम्पर्क की चर्चा कीजिए।
  140. प्रश्न- सुमेरियन समाज के आर्थिक जीवन के विषय में बताइये। यहाँ की कृषि, उद्योग-धन्धे, व्यापार एवं वाणिज्य की प्रगति का उल्लेख कीजिए।
  141. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  142. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की लिपि का विकासात्मक परिचय दीजिए।
  143. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
  144. प्रश्न- प्राचीन सुमेरिया में राज्य की अर्थव्यवस्था पर किसका अधिकार था?
  145. प्रश्न- बेबीलोनिया की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता की सामाजिक.विशिष्टताओं का उल्लेख कीजिए।
  146. प्रश्न- बेबीलोनिया के लोगों की आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  147. प्रश्न- बेबिलोनियन विधि संहिता की मुख्य धाराओं पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  148. प्रश्न- बेबीलोनिया की स्थापत्य कला पर प्रकाश डालिए।
  149. प्रश्न- बेबिलोनियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
  150. प्रश्न- असीरियन कौन थे? असीरिया की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख करते हुए बताइये कि यह समाज कितने वर्गों में विभक्त था?
  151. प्रश्न- असीरिया की धार्मिक मान्यताओं को स्पष्ट कीजिए। असीरिया के लोगों ने कला एवं स्थापत्य के क्षेत्र में किस प्रकार प्रगति की? मूल्यांकन कीजिए।
  152. प्रश्न- प्रथम असीरियाई साम्राज्य की स्थापना कब और कैसे हुई?
  153. प्रश्न- "असीरिया की कला में धार्मिक कथावस्तु का अभाव है।' स्पष्ट कीजिए।
  154. प्रश्न- असीरियन सभ्यता के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  155. प्रश्न- प्राचीन मिस्र की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? मिस्र का इतिहास जानने के प्रमुख साधन बताइये।
  156. प्रश्न- प्राचीन मिस्र का समाज कितने वर्गों में विभक्त था? यहाँ की सामाजिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  157. प्रश्न- मिस्र के निवासियों का आर्थिक जीवन किस प्रकार का था? विवेचना कीजिए।
  158. प्रश्न- मिस्रवासियों के धार्मिक जीवन का उल्लेख कीजिए।
  159. प्रश्न- मिस्र का समाज कितने भागों में विभक्त था? स्पष्ट कीजिए।
  160. प्रश्न- मिस्र की सभ्यता के पतन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  161. प्रश्न- चीन की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता के इतिहास के प्रमुख साधनों का उल्लेख करते हुए प्रमुख राजवंशों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  162. प्रश्न- प्राचीन चीन की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख कीजिए।
  163. प्रश्न- चीनी सभ्यता के भौगोलिक विस्तार का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  164. प्रश्न- चीन के फाचिया सम्प्रदाय के विषय में बताइये।
  165. प्रश्न- चिन राजवंश की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।

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